कहूं राही, कहूं फकीर या कहूं बेबस वजीर।। कहूं राही, कहूं फकीर या कहूं बेबस वजीर।।
प्रश्न अनेक हैं, पर उत्तर नज़र नहीं आता है अब तिरंगे को देख देख मन उदास हो जाता है। प्रश्न अनेक हैं, पर उत्तर नज़र नहीं आता है अब तिरंगे को देख देख मन उदास हो जात...
कितना भी बड़ा हो जाऊं पर मां मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ। कितना भी बड़ा हो जाऊं पर मां मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ।
तेरे नाम की वो चिठ्ठी तुझे दे ना पाई। तेरे नाम की वो चिठ्ठी तुझे दे ना पाई।
ज्यों कच्चा चिठ्ठा खुलते देखा त्यों नौ दो ग्यारह होते देखा। ज्यों कच्चा चिठ्ठा खुलते देखा त्यों नौ दो ग्यारह होते देखा।
सात जन्मों का साथ हो जैसे। सात जन्मों का साथ हो जैसे।